Bharat: गांव छोड़ भागे थे अफ़गान, अब साधु के नाम पर होगा नाम

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नेट डेस्क। हिमाचल टॉप न्यूज़

यूपी के देवरिया जिले के तेलिया अफगान गांव का नाम अब जल्द ही बदल जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार की सिफारिशों के बाद गांव का नाम बदलने पर अपनी सहमति दे दी है। इस फैसले के बाद ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। इस गांव को बोलचाल की भाषा में तेलिया शुक्ल नाम से ही जाना जाता है। मगर राजस्व अभिलेखों में तेलिया अफगान दर्ज था। अब सरकारी दस्तावेजों में भी गांव का नाम तेलिया शुक्ल होगा। गांव का नाम बदलने के लिए यहां के ग्रामीण पिछले एक दशक से संघर्ष कर रहे थे। इस नाम के पीछे बड़ी ही रोचक कहानी भी है।
ऐतिहासिक राम जानकी मार्ग के किनारे स्थित इस गांव का इतिहास काफी पुराना है। बरहज तहसील के भागलपुर ब्लॉक में स्थित इस गांव में लगभग पैंतीस सौ मतदाता है। वैसे तो इस गांव में लगभग सभी जातियां हैं। मगर ब्राह्मण बिरादरी के शुक्ल लोगों की संख्या सबसे अधिक है। इस गांव का नाम राजस्व अभिलेखों में भले ही तेलिया अफगान दर्ज है मगर बोलचाल में इसे तेलियां शुक्ला के नाम से ही जाना पहचाना जाता है। गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय, संस्कृत विद्यालय समेत अन्य सरकारी भवनों पर तेलियां अफगान (शुक्ला) लिखा गया है। अधिकांश छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेज एवं आधार कार्ड में भी तेलिया अफगान (शुक्ला) ही दर्ज है।

इस गांव का नाम बदलने के लिए यहां के ग्रामीण लगभग एक दशक से प्रयासरत थे। वर्ष 2019 में एसडीएम बरहज ने ग्राम वासियों के बयान व क्षेत्र में प्रचलित ( तेलिया शुक्ल) नाम के आधार पर रिपोर्ट डीएम को भेजी थी। तत्कालीन डीएम अमित किशोर ने रिपोर्ट कमिश्नर गोरखपुर को भेजी और कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट राजस्व परिषद को भेजी। कमिश्नर की संस्तुति रिपोर्ट पर राजस्व परिषद ने सहमति जताई।
गांव के पूर्व प्रधान रजनीश शुक्ल के मुताबिक सरयू नदी के किनारे बसे इस गांव का इतिहास ब्रिटिश काल का है। बताया जाता है कि जब इलाके में अंग्रेजों का राज था। उस वक्त यह गांव अफ़गानों का था। जिसके चलते इस गांव का नाम सरकारी दस्तावेजों में तेलिया अफगान दर्ज हो गया। हालांकि बोलचाल की भाषा में एवं क्षेत्र में यह तेलिया शुक्ल के नाम से ही चर्चित है। मगर ग्रामीणों के लंबे प्रयास के बाद अब सरकारी दस्तावेजों में भी तेलियां शुक्ल दर्ज हो जाएगा।

बुजुर्गों के मुताबिक, वर्षों पहले गोरखपुर जिले के मामखोर गांव निवासी मां दुर्गा के अनन्य भक्त साधु भोरानाथ शुक्ल घूमते घूमते सरयू के किनारे स्थित तेलिया अफगान गांव पहुंचे थे। जहां उन्होंने एक कुटिया बनाई और वहीं भजन कीर्तन करने लगे। बताया जाता है कि अफ़गानों को उनका पूजा पाठ करना रास नहीं आया और वे उन्हें भगाने के लिए प्रताड़ित करने लगे। परेशान होकर साधु बाबा ने चिता बनाई और आग लगाकर उसी में जल गए। इस घटना के कुछ दिनों बाद गांव में अजीबोगरीब घटनाएं होने लगी। जिससे डरकर अफ़गानों ने गांव छोड़ दिया।