कुल्लू। हिमाचल टॉप न्यूज़
प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यहां की संस्कृति और सभ्यता देश-प्रदेश के लोगों को अपनी ओर आकृषित करती है। यहां पर देवी-देवताओं के प्रति लोगों में भारी आस्था है और देव आदेशों को सर्वोपरी माना गया है। जिला कुल्लू के मनाली के साथ लगते गौशाल और साथ लगे 8 गांव में अब डेढ़ महीने तक चुप्पी देखने को मिलेगी। यहां पर किसी भी तरह का शोर सुनाई नहीं देगा। इन गांवों में न टीवी, न मोबाइल तथा न ही मंदिर की घंटियां सुनाई देगी। यहां पर आने वाले सैलानियों को भी नियमों का पालन करना होगा।
मनाली के उझी घाटी के नौ गांव कई हजारों साल से चली आ रही देव परम्परा का आज भी पालन कर रहे हैं। ऐतिहासिक गांव गौशाल में एक बार फिर मकर सक्रांति के बाद से टीवी को बन्द कर दिया गया है। साथ ही मोबाइल फोन भी साइलेंट मोड में हैं।
साथ ही कोई भी व्यक्ति यहां ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकता है। अगले डेढ़ महीनों तक खेती बाड़ी का काम भी नहीं होगा। मंदिर में पूजा के अलावा अन्य घंटियों को बांध दिया गया है। दरअसल, यह आदेश यंहा के आराध्य देवता गौतम ऋषि ,ब्यास ऋषि और नाग देवता की ओर से हुए हैं और डेढ महीने तक गांववाले आदेशों की पालना करेंगे।
मनाली के गांव गौशाल, कोठी, सोलंग, पलचान, रूआड़, कुलंग,नशनाग, बुरूआ और मझाच गांवों में देव परम्परा को बखूबी निभाया जाता है। युवा पीड़ी भी सदियों से चली आ रही परम्परा का पालन कर रही है।
बताया जाता है कि इन गांवों के लोग इसे आराध्य देवों गौतम-व्यास ऋषि और नाग देवता का ‘देव आदेश’ मानते हैं। लोगों का मानना है कि मकर संक्राति के बाद गांव के आराध्य देवी-देवता धरती पर आकर तपस्या में लीन हो जाते हैं और उनकी तपस्या में कोई विघ्न ना पड़े इसलिए लोग गांव में पूरी तरह शांति बनाए रखने के लिए टीवी, रेडियो, मोबाइल को बंद कर देते हैं। यहां तक कि लोग खेत-खलिहान का रुख भी नहीं करते हैं।